देश में काम को करने की नहीं, उसे बंद करने की प्रवृत्ति : गडकरी

 


देश में काम को करने की नहीं, उसे बंद करने की प्रवृत्ति : गडकरी


गडकरी ने नौकरशाही को खरी-खरी सुनाई। उन्होंने कहा, देश में खासतौर से नौकरशाही की प्रवृत्ति काम करने की जगह उसे रोकने पर है। एक पेड़ को काटने की अनुमति हासिल करने में छह महीने का समय लगता है।


 

शिवसेना सांसद अरविंद सावंत के सवाल के जवाब में गडकरी ने कहा, परियोजना पूरी करने की राह में कई अड़चनें हैं। सबसे खराब रवैया नौकरशाही का है। इनके पास सकारात्मक दृष्टिकोण का अभाव है। कोंकण के छावनी क्षेत्र में उन्होंने सेना पर बंदूक के बल पर काम रुकवाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, इसकी शिकायत रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से की गई है। मगर देश में चाय से ज्यादा केतली गरम कहावत चरितार्थ हो रही है।


काम खत्म होते ही खुदाई शुरू


गडकरी ने कहा, देश में कई विभागों की अजीब कार्य संस्कृति है। मसलन रोड तैयार होते ही टेलीफोन वाले खुदाई शुरू कर देते हैं तो बिजली वाले बीच सड़क पर पोल गाड़ने से नहीं हिचकते। पहले गूगल के सहारे फर्जी डीपीआर बनाया जाता था। डीपीआर बनाने वाले सेवानिवृत्त इंजीनियर होते थे। चूंकि डीपीआर बनाने के लिए तय राशि का 80 फीसदी एडवांस में भुगतान का प्रावधान था। इसलिए ये शेष राशि भी लेने के लिए नहीं आते थे।



 



दुर्घटना के लिए ड्राइवर नहीं इंजीनियर जिम्मेदार


गडकरी ने कहा, आमतौर पर दुर्घटना के बाद कहा जाता है कि ड्राइवर के नशे के कारण ऐसा हुआ। जबकि सही कारण मापदंड पूरा किए बिना बनाई गई सड़क है। मैंने डीपीआर बनाने और निर्माण परियोजना से जुड़े लोगों से कहा कि अगर सड़क निर्माण में मापदंड का पालन नहीं हुआ तो सबके खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाऊंगा।

आकार बढ़ा मगर फिर भी खंभा भारी


लोकसभा के सदन में बने खंभे कई बार सांसदों के लिए मुश्किल का कारण बन जाते हैं। दरअसल जिन सांसदों की सीट खंभों के पीछे है, उनका चेहरा कैमरे में नहीं आ पाता। बृहस्पतिवार को जब स्पीकर ने उज्जैन के सांसद अनिल फिरोजिया का नाम शून्य काल के दौरान पुकारा तो वह कैमरे में नहीं आ पा रहे थे।

स्पीकर द्वारा आसपास की सीट से बोलने की इजाजत मिलने पर सांसद ने कहा, इस खंभे के कारण मैंने अपना वजन और आकार भी बढ़ा लिया। इसके बावजूद खंभा मुझ पर भारी है। इतना सुनते ही पूरा सदन हंसते हंसते लोटपोट हो गया।